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The Musical Donkey

There lived a washerman's donkey, whose name was Uddhata. During the day, the donkey would carry the washerman's bags, but during the night, he was set free to eat the green grass in a nearby field. However, instead of grazing in the nearby fields, he crept into nearby farms and ate vegetables of his choice. Before day-break it would come back to the washerman's house. One night, the donkey met a jackal while wandering in a nearby farm. They became good friends, and started meeting every night. The donkey, being fat, was able to break the fences of the farms. While he ate on the vegetable, the jackal would enter through the broken fence and ate the poultry on the farm. Before day-break, they would return to their respective home to meet again next night. This continued for many days. One night, the donkey said to the jackal, "Nephew, I feel like singing on nights like tonight, when the moon is full and beautiful. What Raaga (note combination) sh

The Donkey and the Washerman

Shuddapatta was a washerman, who had a donkey to help him with his chores. But he could not take proper care of his donkey. The surroundings where he lived, lacked grass; and the washerman did not have enough to offer the donkey to eat. As a result, the donkey had grown lean and weak. Even Shuddapatta was worried with his donkey's health. One particular day, Shuddapatta was wandering in the jungle, where he came across a dead tiger. He at once struck an idea. He thought, "It is my luck that I have a dead tiger. I will skin the tiger and take the skin home. I will cover the donkey with the tiger's skin and let him graze in the nearby barley fields after sunset. The farmers will not dare to come near him fearing my donkey as a tiger. This way, he will be able to eat as much as he wants." The washerman did so after sunset, and the donkey returned unharmed after he had eaten to his heart's content. From then onwards, the washerman would cover his

The Jackal's Strategy

There was a wide jackal called Mahachaturaka, who lived in a jungle. One day, as he was wandering about in the jungle in search of food, he saw a dead elephant. He knew that the dead elephant will provide him food for many days. But his happiness soon turned into frustration, as he was not able to tear the elephant's thick skin. He went round and round, trying his luck from all side, but in vain. As he was still trying to figure out, the jackal saw a lion approaching. He quickly bowed, and said, "O King of jungle, I found this dead elephant and was keeping a watch over it so that you can have it. Please be kind to eat to your heart's content." But the lion refused, "I eat a prey only when I hunt it myself. That is my nature. Thank you for your offer, but you can have the elephant for yourself" The lion departed after being thanked by the jackal. But his problem remained. He wondered how he can tear apart the elephant's thick skin.

The Tale of Two Fishes and a Frog

Two large fishes, Sahasrabuddhi and Satabuddhi lived in a big pond, and were close friends with a frog called Ekabuddhi. They spent a lot of time together on the bank of the pond. The Tale Of Two Fishes And A Frog - Panchatantra Story Picture One evening, as they were assembled on the bank of the pond, they saw a few fishermen approaching. They had nets and big baskets with them, which were full of fishes that they had caught. While passing by the pond, they noticed that the pond was full of fishes. One of them said to the others, "Let us come here tomorrow morning. This pond is not very deep, and is full of fishes. We have never caught fishes in this pond." The Tale Of Two Fishes And A Frog - Panchatantra Story Picture They agreed to return the very next morning, and continued their journey homewards. The frog was depressed on hearing the fishermen and said, "O Friends, we should decide what to do, whether to run or hide. These fishermen will re

The Lion, the Camel, the Jackal and the Crow

There was once a jungle that was ruled by a lion called Madotkata, who had a leopard, a jackal and a crow at his service, along with other animals. As they did regularly, they were wandering about the jungle one day, when the lion saw a camel at a distance. This camel had separated from its caravan and was feeding itself on the green grass of the jungle. The lion took a fancy on this animal that he had not seen before, "Let us go and ask this extraordinary animal, where he comes from." The crow, who flies to far-off places was aware and replied, "Master, it is called a camel and this animal lives in villages. The flesh of this animal tastes good, let us kill it and eat it." But the lion disagreed, "He does not belong to the jungle, so he is our guest. I will not kill it. Please go and assure him that no harm will be done, and bring him to me". As per the lion's instruction, they went to the camel and assured him that they were to

हाथी और छह अंधे व्यक्ति

बहुत समय पहले की बात है , किसी गावं में 6 अंधे आदमी रहते थे. एक दिन गाँव वालों ने उन्हें बताया , ” अरे , आज गावँ में हाथी आया है.”  उन्होंने आज तक बस हाथियों के बारे में सुना था पर कभी छू कर महसूस नहीं किया था. उन्होंने ने निश्चय किया, ” भले ही हम हाथी को देख नहीं सकते , पर आज हम सब चल कर उसे महसूस तो कर सकते हैं ना?” और फिर वो सब उस जगह की तरफ बढ़ चले जहाँ हाथी आया हुआ था. सभी ने हाथी को छूना शुरू किया. ” मैं समझ गया, हाथी एक खम्भे की तरह होता है”,  पहले व्यक्ति ने हाथी का पैर छूते हुए कहा. “अरे नहीं, हाथी तो रस्सी की तरह होता है.” दूसरे व्यक्ति ने पूँछ पकड़ते हुए कहा. “मैं बताता हूँ,  ये तो पेड़ के तने की तरह है.”,  तीसरे व्यक्ति ने सूंढ़ पकड़ते हुए कहा. ” तुम लोग क्या बात कर रहे हो, हाथी  एक बड़े हाथ के पंखे की तरह होता है.” , चौथे व्यक्ति ने कान छूते हुए सभी को समझाया. “नहीं-नहीं , ये तो एक दीवार की तरह है.”, पांचवे व्यक्ति ने पेट पर हाथ रखते हुए कहा. ” ऐसा नहीं है , हाथी तो एक कठोर नली की तरह होता है.”, छठे व्यक्ति ने अपनी बात रखी. और फिर सभी आपस में बह

बन्दर और सुगरी

सुन्दर  वन  में  ठण्ड  दस्तक  दे  रही  थी , सभी  जानवर  आने  वाले  कठिन  मौसम  के  लिए  तैयारी   करने  में  लगे  हुए  थे . सुगरी  चिड़िया  भी  उनमे  से  एक  थी  , हर  साल  की  तरह  उसने  अपने  लिए  एक  शानदार  घोंसला  तैयार  किया  था  और  अचानक  होने  वाली  बारिश  और  ठण्ड  से  बचने के लिए उसे  चारो  तरफ  से  घांस -फूंस  से  ढक  दिया  था . सुगरी  ने  बन्दर  को  देखते  ही  कहा  – “ तुम  इतने  होशियार  बने फिरते  हो  तो भला ऐसे  मौसम  से  बचने  के  लिए  घर  क्यों  नहीं  बनाया ?” यह  सुनकर  बन्दर  को  गुस्सा  आया  लेकिन  वह  चुप  ही  रहा और  पेड़  की  आड़  में  खुद  को  बचाने  का प्रयास करने लगा  . थोड़ी देर शांत रहने के बाद सुगरी फिर बोली, ” पूरी गर्मी इधर उधर आलस में बिता दी…अच्छा होता अपने लिए एक घर बना लेते!!!” यह सुन बन्दर ने गुस्से में कहा, ” तुम अपने से मतलब रखो , मेरी चिंता छोड़ दो .”सुगरी शांत हो गयी. बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही थी और हवाएं भी तेज चल रही थीं, बेचारा बन्दर ठण्ड से काँप रहा था, और खुद को ढंकने की भरसक कोशिश कर रहा था.पर सुगरी ने तो मानो उस

तितली का संघर्ष

एक बार एक आदमी को अपने garden में टहलते हुए किसी टहनी से लटकता हुआ एक तितली का कोकून दिखाई पड़ा. अब हर रोज़ वो आदमी उसे देखने लगा , और एक दिन उसने notice किया कि उस कोकून में एक छोटा सा छेद बन गया है. उस दिन वो वहीँ बैठ गया और घंटो उसे देखता रहा. उसने देखा की तितली उस खोल से बाहर निकलने की बहुत कोशिश कर रही है , पर बहुत देर तक प्रयास करने के बाद भी वो उस छेद से नहीं निकल पायी , और फिर वो बिलकुल शांत हो गयी मानो उसने हार मान ली हो. इसलिए उस आदमी ने निश्चय किया कि वो उस तितली की मदद करेगा. उसने एक कैंची उठायी और कोकून की opening को इतना बड़ा कर दिया की वो तितली आसानी से बाहर निकल सके. और यही हुआ, तितली बिना किसी और संघर्ष के आसानी से बाहर निकल आई, पर उसका शरीर सूजा हुआ था,और पंख सूखे हुए थे. वो आदमी तितली को ये सोच कर देखता रहा कि वो किसी भी वक़्त अपने पंख फैला कर उड़ने लगेगी, पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. इसके उलट बेचारी तितली कभी उड़ ही नहीं पाई और उसे अपनी बाकी की ज़िन्दगी इधर-उधर घिसटते हुए बीतानी पड़ी. वो आदमी अपनी दया और जल्दबाजी में ये नहीं समझ पाया की दरअसल कोकू

बाज की उड़ान

एक बार की बात है कि एक बाज का अंडा मुर्गी के अण्डों के बीच आ गया. कुछ दिनों  बाद उन अण्डों में से चूजे निकले, बाज का बच्चा भी उनमे से एक था.वो उन्ही के बीच बड़ा होने लगा. वो वही करता जो बाकी चूजे करते, मिटटी में इधर-उधर खेलता, दाना चुगता और दिन भर उन्हीकी तरह चूँ-चूँ करता. बाकी चूजों की तरह वो भी बस थोडा सा ही ऊपर उड़ पाता , और पंख फड़-फडाते हुए नीचे आ जाता . फिर एक दिन उसने एक बाज को खुले आकाश में उड़ते हुए देखा, बाज बड़े शान से बेधड़क उड़ रहा था. तब उसने बाकी चूजों से पूछा, कि- ” इतनी उचाई पर उड़ने वाला वो शानदार पक्षी कौन है?” तब चूजों ने कहा-” अरे वो बाज है, पक्षियों का राजा, वो बहुत ही ताकतवर और विशाल है , लेकिन तुम उसकी तरह नहीं उड़ सकते क्योंकि तुम तो एक चूजे हो!” बाज के बच्चे ने इसे सच मान लिया और कभी वैसा बनने की कोशिश नहीं की. वो ज़िन्दगी भर चूजों की तरह रहा, और एक दिन बिना अपनी असली ताकत पहचाने ही मर गया. सीखः दोस्तों , हममें से बहुत से लोग  उस बाज की तरह ही अपना असली potential जाने बिना एक second-class ज़िन्दगी जीते रहते हैं, हमारे आस-पास की medio

विजेता मेंढक

बहुत  समय  पहले  की  बात  है  एक  सरोवर  में  बहुत  सारे  मेंढक  रहते  थे . सरोवर  के   बीचों -बीच  एक  बहुत  पुराना  धातु   का  खम्भा  भी  लगा  हुआ   था  जिसे  उस  सरोवर  को  बनवाने  वाले  राजा    ने   लगवाया  था . खम्भा  काफी  ऊँचा  था  और  उसकी  सतह  भी  बिलकुल  चिकनी  थी . बहुत  समय  पहले  की  बात  है  एक  सरोवर  में  बहुत  सारे  मेंढक  रहते  थे . सरोवर  के   बीचों -बीच  एक  बहुत  पुराना  धातु   का  खम्भा  भी  लगा  हुआ   था  जिसे  उस  सरोवर  को  बनवाने  वाले  राजा    ने   लगवाया  था . खम्भा  काफी  ऊँचा  था  और  उसकी  सतह  भी  बिलकुल  चिकनी  थी . हर  तरफ  यही सुनाई  देता … “ अरे  ये   बहुत  कठिन  है ” “ वो  कभी  भी  ये  रेस  पूरी  नहीं  कर  पायंगे ” “ सफलता  का  तो  कोई  सवाल ही  नहीं  , इतने  चिकने  खम्भे पर चढ़ा ही नहीं जा सकता  ” और  यही  हो  भी  रहा  था , जो भी  मेंढक  कोशिश  करता , वो  थोडा  ऊपर  जाकर  नीचे  गिर  जाता , कई  मेंढक  दो -तीन  बार  गिरने  के  बावजूद  अपने  प्रयास  में  लगे  हुए  थे … पर  भीड़  तो अभी भी  चिल्लाये  जा  रही  थी , “ ये  नह